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हनुमानजी ने सूर्य रथ के पास आए हुए राहु को ऐसा झटका मारा की वह मूर्छित हो गया। होश आने पर क्रोध में इंद्र के पास गया और

हनुमानजी ने सूर्य रथ के पास आए हुए राहु को ऐसा झटका मारा की वह मूर्छित हो गया। होश आने पर क्रोध में इंद्र के पास गया और कहा कि मुझसे भी बलवान राहू सूर्य को ग्रहण लगाने के लिए आया है। इंद्र वहां आए और हनुमान जी पर वज्र से प्रहार कर दिया जिसके प्रभाव से उनकी ठोढ़ी टूट गई।

वहीं दूसरी तरफ, हनुमद् उपासना कल्पद्रुम ग्रंथ में वर्णित है कि चैत्र शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार के दिन मूंज की मेखला से युक्त और यज्ञोपवीत से भूषित हनुमान जी उत्पन्न हुए। इस विषय के ग्रंथों में इन दोनों के उल्लेख मिलते हैं।

पूजन विधि

चैत्र पूर्णिमा पर प्रात: स्नानादि कर हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाना चाहिए। हनुमत दर्शन कर उनका विधिवत पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन कर नैवेद्य में लड्डू, ऋतु फल, खुर्मा इत्यादि अर्पित करना चाहिए। हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, हनुमान बाहुक, हनुमत सहस्त्रनाम, हनुमान मंत्र इत्यादि का पाठ-जप करना चाहिए।

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